दर्द का अहसास
वर्षों पहले मिले थे उनसे लगता था जहाँ मिल गया
बातों से उसके
हर पल -पल मेरा मन छू लिया
मिलते रहे ,घर बाहर ओ मुझसे
मिलते
रहे
मुझे अपनी बातों में हर पल उलझाते रहे
मैं न समझ
सकी की क्या है उसके मन में
हर पल खुशियां थी उसके प्रति मेरे मन में
समय-२
हर महीना
हर साल गुजरता गया
पर मैं न समझ सकी , उसकी चाल न माया
हर पल मुझे भरोषा ,हर पल आश थी उससे
पर बरसों साल गुजरने पर भी मैं न समझ सकी उसे
हर वस्तु,हर जो था जिंदगी के हर सपने
उसे लूटा दिया उसपर मैंने अपने
बक्त ने करवट बदली ,मै मुसीबत से लगी घिरने
लगा मुसीबत में ओ हरदम साथ हैं मेरे
बचन उनके कि हरदम मैं साथ रहूँगा तेरे
बात उससे
की पर बेदर्द ज़माने में दिया धोखा
दूर होने का उसे दिया अच्छा मौका
देने के बदले
मुझसे उसने है मुह मोड़ा
हर अपने ने सगों ने भी
है मुझसे मुह मोड़ा
सोचती हूँ न किसी पर भरोसा करना