मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

दर्द का अहसास

दर्द का अहसास
वर्षों पहले मिले थे उनसे लगता था जहाँ मिल गया
बातों से उसके  हर पल -पल मेरा मन छू लिया
मिलते रहे ,घर बाहर   मुझसे  मिलते  रहे
 मुझे अपनी बातों में हर पल उलझाते रहे
मैं समझ  सकी की क्या है उसके मन में
हर  पल खुशियां थी उसके प्रति मेरे मन में
समय-  हर महीना  हर साल गुजरता गया
पर मैं समझ सकी , उसकी चाल माया
हर पल मुझे भरोषा ,हर पल आश थी उससे
पर बरसों साल गुजरने पर भी मैं समझ सकी उसे
हर वस्तु,हर जो था जिंदगी के हर सपने
उसे  लूटा दिया उसपर मैंने अपने
बक्त ने करवट बदली ,मै मुसीबत से लगी घिरने
लगा मुसीबत में हरदम साथ हैं मेरे
बचन उनके कि हरदम मैं साथ रहूँगा तेरे
बात उससे  की पर बेदर्द ज़माने में दिया धोखा
दूर होने का उसे दिया अच्छा मौका
देने के बदले  मुझसे उसने है मुह मोड़ा
हर  अपने ने सगों ने भी  है मुझसे मुह मोड़ा
सोचती हूँ किसी पर भरोसा करना

दुश्मन है इस जहाँ में हर सारा जमानाrawatdan09@gmail.comfackbook

दर्द का अहसास

दर्द का अहसास
वर्षों पहले मिले थे उनसे लगता था जहाँ मिल गया
बातों से उसके  हर पल -पल मेरा मन छू लिया
मिलते रहे ,घर बाहर ओ  मुझसे  मिलते  रहे
 मुझे अपनी बातों में हर पल उलझाते रहे
मैं न समझ  सकी की क्या है उसके मन में
हर  पल खुशियां थी उसके प्रति मेरे मन में
समय-२  हर महीना  हर साल गुजरता गया
पर मैं न समझ सकी , उसकी चाल न माया
हर पल मुझे भरोषा ,हर पल आश थी उससे
पर बरसों साल गुजरने पर भी मैं न समझ सकी उसे
हर वस्तु,हर जो था जिंदगी के हर सपने
उसे  लूटा दिया उसपर मैंने अपने
बक्त ने करवट बदली ,मै मुसीबत से लगी घिरने
लगा मुसीबत में ओ हरदम साथ हैं मेरे
बचन उनके कि हरदम मैं साथ रहूँगा तेरे
बात उससे  की पर बेदर्द ज़माने में दिया धोखा
दूर होने का उसे दिया अच्छा मौका
देने के बदले  मुझसे उसने है मुह मोड़ा
हर  अपने ने सगों ने भी  है मुझसे मुह मोड़ा
सोचती हूँ न किसी पर भरोसा करना
दुश्मन है इस जहाँ में हर सारा जमाना

सोमवार, 24 नवंबर 2014

माँ बाप को सम्भालो ,उम्र के पड़ाव पर , फर्ज है सबका जाना सब को इस पायदान पर
कमजोर जिस्म करे साँस सितम ,यादों के दिल दिमाक,चल न सके उनके इक कदम
सुन न पाये .सोच न पाये न नजरदिखे , बुढ़ापे में जान रहे हतैले  पर
रोशन रहेंगी  सितारे नसीब के ,चमकेगा नाम तेरा अदब के निशान पर .
लालच ,फारेव छोड़ अकल से काम ले हो फूल का भरोसा भले बगवान पर

बेटा -बेटी की परवरिश में कटी जिंदगी ,न हुई कभी सर्मंदगी
अब उनको है बूढ़े  माँ -बाप की परवरिश में सर्मंदगी
दिल से हो अगर खून के रिश्तों का दर्द, न कोई यैसा करेगा
कहते है वही बुजुर्ग ,जो जैसा करेगा ,वही यहीं भरेगा
पर उन्हें न मालूम ,अब जमाना वह न रह गया ,पाप उनमे कूट-२ भर गया
जिस घर में बुजर्ग की खुसी का ख्याल है ,रब की कृपा से मालामाल है
आँगन में में खेलती खुशियां इन्तीनां  से .वारिश है बरकतों से मकान पर
बचपन चला गया तो जवानी भी जाएगी ,फिर बुढ़ापा भी आएगी
सब समय की चाल है जीवन के खेल में ,चलता नहीं कुछ  विधि के बिधान में
इनकी दुआ है दवा से काम नहीं ,माँ बाप की खुशामत है ईश्वर की खुदामत से काम नहीं
इनको सताने वाले सलामत नहीं ,उनकी सुनता है ख़ुदा आश्मान पर
इनको जीने दो लोगो   तुम ईश्वर से ओ कम नहीं